Kesari movie review in Hindi - Akshay Kumar
Story of Kesari
आज से तकरीबन 122 साल पहले यानी 12 सितंबर
1897 को एक जंग लड़ी गई थी| British सैन्य के 6 सिपाहियों
और पठान लड़ाकों के बीच| उस दिन वहां जो हुआ वो इतना अदभुत था कि इतिहास
में जगह पा गया| अक्षय कुमार की है नई फिल्म ‘केसरी’ इसी जंग की कहानी है| कहानी
को चंद लाइनों में समेटा जा सकता है| पठान से किसी वजह से हिंदुस्तान के हिस्से पर
कब्जा करना चाहते थे| पहली बार आए सारागढ़ी के चौकी वहां तैनात है 36 सिख
रेजीमेंट 21 सिपाही| उनकी सिपाहियों को 10000 पठानों
के साथ भीड़ जाने की कहानी है केसरी| ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित कुछ फिल्मों में कुछ
चीजें बहुतायत में होने की आशंका रहती है|
Kesari movie review in Hindi
unnecessary chase taping,
overed melodrama , history इसको छोड़ कर कुछ भी दिखाने की जिद| केसरी इन सब चीजों से बचकर अलग दिखाने का सुखद
घटना देती है| केसरी देखते वक्त आपके जेहन में सिक्खों के गुरु गोविंद सिंह की बोल
घूमते रहते हैं| “सवा लाख नाल एक लड़ावा, ता गुरु गोबिंद सिंह नाम धरावा”| केसरी
इसी जज्बे का non dramatic सिनेमा है| केसरी के फौजियों के लिए फौज में होना
देश भक्ति के पहले नौकरी है| केसरी जंग पर आधारित फिल्म में ‘जंग कुछ और नहीं बस
कारोबार है’ जैसा होना डायलॉग बताता है की मेकर्स के जेहन और दिल सही जगह पर हैं| कुछ
गाने फिल्म के flow को ही बिगाड़ देते हैं| हालांकि first
half मैं कुछ rough funny moments भी है|
अक्षय कुमार के थप्पड़ मार comedy से दूर ये
humour अच्छा लगता है| यह फिल्म सिर्फ सारागढ़ी कि लड़ाई की कहानी ही नहीं
कहती बल्कि यह छुआछूत, मानवता और करुणा के जरूरत को भी रेखांकित करती है| एक्टिंग
अक्षय कुमार समेत सबकी अच्छी है| अक्षय अपनी और फिल्मों के तरह वाद विवाद लाउड
नहीं होते, गुंजाइश होने के बावजूद और ये फिल्म के हक में बहुत बड़े plus
finger का काम करता है|
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साथ ही सिपाहियों को रोल करने वाले तमाम कलाकार
एकदम विश्वसनीय लगते हैं कुल मिलाकर कास्टिंग अच्छी हैं फिल्म के दो बड़े plus
point हैं - एक एक्शन और दूसरा सिनेमैटोग्राफी| एक्शन सीन तो बहुत ही उम्दा
है और उसकी बड़ी बात की अतार्किक नहीं है| ऐसी फिल्मों में एक सीन के बाद एक्शन
रिपीटेड लगने लगता हैं लेकिन केसरी में ऐसा बिल्कुल नहीं है| आखिर तक एक नया एक्शन
घटता रहता है| वो सीन तो बहुत मस्त बन पड़ा है जब अक्षय कुमार एक आम बंदूक पर दूरबीन
बांधकर दुनिया के पहले टेलीस्कोपिक Gun बना लेते हैं और बीच से दो फार कर देते हैं|
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दुश्मनों के सार सूत्र बंदूक को ठीक दर्शकों के मुंह से अपनी - अपनी श्रद्धा
अनुसार wow या waah शब्द निकलते हैं|
इसके अलावा climex scene भी बहुत अच्छा है| दो गाने
बहुत अच्छे हैं| इस प्रकार केसरी फिल्म ठीक-ठाक हैं|
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